#दबे हुए की आवाज़ को दबाने की प्रथा रही है भारत में, इस पुल ने भी दबाया तो, जनमानस को .... शेखी बघार दी गयी है, कि दोषियों को #बक्शा नहीं जायेगा... अब तक कितने दोषियों को सजा हुयी है , जगजाहिर है . घायल व मरने वालो की गिनती बार बार cross check की जा रही है, जैसे वो #इंसान नहीं कोई खोया समान हो... कई लौट नहीं पाए घर को, किसी दुसरो की गलती के कारन... ये रोना है अंधविकास का, मेहनत की लूट का जन के लहू की प्यास का... कोई परत दर परत खोले तो पता चले, किस किस ने हाथ रंगे है, जनमानस के खून से ... 😡--गुलशन उधम
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