पत्रकारिता या वकालत
पत्रकारिता या वकीली ! तेज गर्मी, उमस का मौसम तो ऐसे में सूरज के साथ हल्की बारिश का होना आम बात है। शाम के करीब सात बजने को है। थक कर, मैं घर में दाखिल हुआ। तभी कानों में एकाएक आवाज पड़ी। "देश को हिंदू और मुस्लिम के झगड़े में आखिर लड़ा कौन रहा है।" इंडियट वाक्स पर एक एंकर साहब गर्ज रहे है। आवाज इतनी तिखी थी कि एक पल के लिए मैंने अपने थके कदमों को वही रोक दिया। भीतर गया तो देख कि पापा टकटकी लगा कर टीवी देख रहे है। क्या पापा, ये सब क्या लगाया है। , मैंने कहा। पापा , ओऐ तुझे नही पता, ये बहुत अच्छा वकील है। ये सुनते ही मुझे राहत मिली । सही पकड़े है पापा। ये वकील ही है। मैंने कहा। इस पर पापा ने खुद को सही करते हुए कहा कि मेरा कहने का मतलब है ये अच्छी वाकलत कर रहा है। मैंने कहा कि पापा इसका मतलब भी यही निकला कि ये पत्रकार नही वकील है। पापा अपनी ही दोनो टिप्पनी पर लेकर स्केपटिल हो गए। हां यार ये वकील है कि पत्रकार। पापा ने विचारते हुए कहा। बिल्कुल पापा इसी स्केपिटीसीजम के साथ टीवी को देखा जाना चाहिए। तभी समझ आएगा कि पत्रकारिता हो रही है या वकीली। मैंने पापा ...