Short Story
अतीत, वर्तमान व भविष्य की उधैड़बुन गुलशन उधम। कड़ी उमस के बाद, हुई बारिश ने तापमान में थोड़ी गिरावट ला दी है। शाम में हुई इस बारिश में बच्चें बाहर मस्ती कर रहे है। लेकिन दीपिका का मन उदासीनता से भरा हुआ है। वह खिडक़ी से बाहर बारिश की ओर देखते हुए वह वर्तमान, अतीत और आने वाले भविष्य की उधैड़बुन में खोई हुई है। इतने में मां ने उसे आवाज दी, कि वह रात के खाने के लिए सब्जी बना दे। दीपिका ने रूखेपन में कहा, ‘जिन्होंने रात में खाना खाना है वे खुद बनाए। मैं क्यों बनाऊं और वैसे भी मैं अब तो पराए घर को जाने वाली हूं न।’ मंा बेटी के इस चिड़चिड़ेपन को समझ रही है। लेकिन वह भी क्या कर सकती है। वे खुद भी तो अपने माता-पिता के द्वारा ब्याह दी गई थी। पास जाकर, मां ने बेटी के सर पर हाथ रखते हुए कहा कि ‘अच्छा ठीक है, मैं खुद बना देती हूं। तुम बताओ तुम्हें क्या खाना है, आज?’ दीपिका ने फिर झल्लाते हुए कहा कि ‘ मां तुम्हारे बोल अब मुझे कसाई के बोल क्यों लग रहे है, जो हलाल होने वाली बक री को मनपंसद का चारा खिलाता है।’ मां ने प्यार के साथ डांटते हुए कहा ‘ मुझे पता है कि तुम गुस्से में ...