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इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया

इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया, कुछ खत लिखे कुछ याद किया... इश्क़ था जिस से  उससे इजहार किया गिला था जिससे उसे भुला दिया... इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया कहना था जिससे उसे सुना दिया मिलाना था जिसको उसे मिला दिया कर न सके जो काम  उसे हाल फिलहाल... रहने दिया कुछ खत लिखे कुछ याद किया इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया दौर ज़बर का है दौर ववा का है कई बार मुठियां भीच के जिया घुट सबर का  कई बार भारी.... मन से पिया कुछ खत लिखे कुछ याद किया इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया पैदल प्रवासी मिलों चलते... जाते दिखे कई इलाज के लिए बिखलाते.. दिखे रूजगार गवायां  कईयों ने और मजबूरी में दब कर भी काम किया ये सब सह कर भी जिया  इस दौर ए पेंडमिक में क्या किया कुछ खत लिखे  कुछ याद किया.... ■■■Gulshan Udham