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Showing posts from December, 2017
क्या समाजिक विज्ञान के  विषय को मातृभाषा में नही पढ़ाया जाता ?  *भाई क्या सोशल सांईस हिंंदी में नही हो सकती है। जब पांचवी में सोशल सांईस हिंदी में थीे तो पढऩे में बहुत मजा आता था। लेकिन जब से ये इंगलिश में हो गई है, बस रट्टे ही लगाते है।* अपना ये अनुभव सातवी कक्षा के छात्र तरूण ने यूहीं बातचीत  में मेरे साथ साझा किया। इतनी छोटी सी जो अपने आप में बहुत विचारणीय  है। कि क्यों शिक्षा विभाग द्वारा सोशल सांईस यानी समाजिक विज्ञान को हिंदी से बदल कर इंगलिश में कर दिया होगा। आखिर क्या कारण रहे होंगे। इसके पीछे। यहां तक विशेषज्ञों की माने तो ज्यादातर शिक्षाविद और समाजिक शास्त्री बच्चों को शिक्षित करने के लिए मातृभाषा को माध्यम बनाने का सुझाव देते है लेकिन राज्य का शिक्षा मंत्रालय इसके बिल्कुल विपरित मातृभाष तो दूर हिंदी से बदल कर इंगलिश भाषा को माध्यम बना कर विषयों को पढ़ा है।                              रावी-तवी जंक्शन।                     ...

Rajkumar

एक दिन घोड़े पर बैठा राजकुमार आयेगा और उसे अपने साथ ले जाएगा। इसी इंतज़ार में उसने अपनी उम्र का एक पड़ाव बिताया था... फिर एक दिन एक लड़का आया उसकी जिंदगी में। पर वो राजकुमार नहीं थ...

Short story

An agnostic ... अच्छा, तो तुम athiest हो।, she said. नहीं, मैं agnostic atheist  हूं।, he क्या मतलब?, she मतलब इस बात से मुझे फर्क नई पड़ता की भगवान है या नहीं हैं। मुझे फर्क पड़ता है तो इस बात से की इस दुनिया में गैरबराबरी क्यों ब...