क्या समाजिक विज्ञान के विषय को मातृभाषा में नही पढ़ाया जाता ?
*भाई क्या सोशल सांईस हिंंदी में नही हो सकती है। जब पांचवी में सोशल सांईस हिंदी में थीे तो पढऩे में बहुत मजा आता था। लेकिन जब से ये इंगलिश में हो गई है, बस रट्टे ही लगाते है।* अपना ये अनुभव सातवी कक्षा के छात्र तरूण ने यूहीं बातचीत में मेरे साथ साझा किया। इतनी छोटी सी जो अपने आप में बहुत विचारणीय है। कि क्यों शिक्षा विभाग द्वारा सोशल सांईस यानी समाजिक विज्ञान को हिंदी से बदल कर इंगलिश में कर दिया होगा। आखिर क्या कारण रहे होंगे। इसके पीछे। यहां तक विशेषज्ञों की माने तो ज्यादातर शिक्षाविद और समाजिक शास्त्री बच्चों को शिक्षित करने के लिए मातृभाषा को माध्यम बनाने का सुझाव देते है लेकिन राज्य का शिक्षा मंत्रालय इसके बिल्कुल विपरित मातृभाष तो दूर हिंदी से बदल कर इंगलिश भाषा को माध्यम बना कर विषयों को पढ़ा है।
रावी-तवी जंक्शन।
गुलशन उधम
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