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Showing posts from June, 2018
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आपकी सहमति को आप खुद तय कर रहे है या कोई और ? -1 एक काल्पनिक दुशमन तैयार कर , एक खास दिशा में लोगों की सहमति का निमार्ण किया जाता है। फि उनमें तनाव , नफरत और उन्माद भरा जाता है।   29 जून (गुलशन उधम): करीब 1988 में अमेरिका के प्रख्यात मीडिया क्रिटिक नोम चोमस्की व ऐडवर्ड हरमन ने एक किताब पब्लिश करी थी- ’ मेनफेक्चरिंग कंसेन्ट ’   सरल शब्दों में समझे तो   ’ सहमति का निमार्ण ’ ।   किताब के टाइटल से ही पता चलता है कि कि ताब किस विषय पर लिखी गई है। इसमें बताया कि किस तरह से एक विशेष तौर की खबरों का जाल बुनकर एक चुनी हुई दिशा की ओर आमजन की सहमति का निमार्ण किया जाता है। किताब में बताया है कि मौजूदा समय में आमजन तक खबरे पांच फिल्टर से होकर पुहंचती है। जो कि खास तरह की सहमति बनाने का कार्य करती है। पांचों फिल्टर बहुत ही दिलचस्प है। जिनमें शामिल है- 1. Size & Ownership =   आकार व स्वामित्व 2. funding = वित्त पोषण 3. Source = स्त्रोत 4. Flaks =   खुद के नुक्सान वाली अलोचना से बचना 5. Imaginary enemy = काल्पनिक दुशमन   थोड़ा सा दिमाग...

डराने-धमकाने की संस्कृ ति की लपटों कौन दे रहा है हवा

गुलशन उधम। ’’ *एक डरा हुआ पत्रकार लोकतंत्र में मरा हुआ नागरिक पैदा करता है* । इसलिए डरे नही निभिक्र्ता से पत्रकारिता करे।’’ एक कार्यक्रम के दौरान एनडीटीवी में कार्यरत पत्...