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Showing posts from May, 2019

और कितने एकलव्य

और कितने एकलव्य और कितने एकलव्यों की मांग करते हो तुम?, द्रोण। हमारे रगों में बहता लहू तुमसे ये सवाल करता है। हमारे नाम के आगे लगने वाला शब्द "डॉक्टर " तुम्हें क्यों अखरता है? ...

poem

दरातियो की बैठक । फसल को काट कर अभी फुर्सत मिली है दरातियो को। रही है देख कटी फ़सलो को जाते हुए मंडियों में , रही है जान किरसानो कि उम्मीदों को टूटते हुए। समझ रही है फर्क किरस...