Krantijyoti Savitri Bai Phule Hindi
एक पल रूके और सोचें,
कि आप 25 जनवरी, 1897 के समय में है और पूणे के भीड़ेवाड़ा एक स्कूल के पास खड़े है। जिसे शुरू हुए अभी एक माह ही हुआ है।
सिर्फ छह बच्चें है इस स्कूल में और इसमें सबसे अंचभित बात यह है कि वो छह बच्चें लड़कियंा है और लड़कियों के लिए खोला गया ये आधुनिक भारत का पहला स्कूल है।
भीतर आए और जरा देखें, एक शिक्षिका इन बच्चियों को पढ़ा रही है। और आप जानना चाहेंगे कि वह कौन है- सावित्री बाई फूले।
सफर इतना आसान नही रहा है पहली शिक्षिका के जीवन का।
रास्ते में अक्सर धर्म के ठेकेदार आरै स्वर्ण जाती के लोग उन पर कूड़ा-कचरा, गोबर आदि फै ंक देते है। इस कारण वे हर रोज दो साडिय़ा लेकर स्क्ूल पहुंचती है ताकि जो साड़़ी खराब हो चुकी है उसे बदल कर छात्राओं को पढ़ाया जा सके। तो इस तरह संघर्ष के बीच में पहले स्कूल की नींव रखी गई थी।
कि आप 25 जनवरी, 1897 के समय में है और पूणे के भीड़ेवाड़ा एक स्कूल के पास खड़े है। जिसे शुरू हुए अभी एक माह ही हुआ है।
सिर्फ छह बच्चें है इस स्कूल में और इसमें सबसे अंचभित बात यह है कि वो छह बच्चें लड़कियंा है और लड़कियों के लिए खोला गया ये आधुनिक भारत का पहला स्कूल है।
भीतर आए और जरा देखें, एक शिक्षिका इन बच्चियों को पढ़ा रही है। और आप जानना चाहेंगे कि वह कौन है- सावित्री बाई फूले।
सफर इतना आसान नही रहा है पहली शिक्षिका के जीवन का।
रास्ते में अक्सर धर्म के ठेकेदार आरै स्वर्ण जाती के लोग उन पर कूड़ा-कचरा, गोबर आदि फै ंक देते है। इस कारण वे हर रोज दो साडिय़ा लेकर स्क्ूल पहुंचती है ताकि जो साड़़ी खराब हो चुकी है उसे बदल कर छात्राओं को पढ़ाया जा सके। तो इस तरह संघर्ष के बीच में पहले स्कूल की नींव रखी गई थी।
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