Ratti masha tola
‘‘रत्ती ’’ को कितना जानते है हम?
रत्ती भर डाटा जाया होगा, इसे पढऩे में
11 दिसंबर,(गुलशन उधम)।‘‘रत्ती भर भी अक्ल नही है, उसमें’’ं। इस लाइन को अक्सर सुना होगा आपने, अपने किसी बड़े से, दोस्त से या फिल्मों की दुनिया में। डोगरी में भी अक्सर रत्ती शब्द बहुत प्रचलित है। जैसे, ‘‘रत्ती फर्क नी पेया, बुखार दा। ’’
या फिर ऐसे सुना या कहा होगा। ‘‘मासा अक्ल नी, ऐ तीगी। ’’
तो इस तरह हम देखते है कि रत्ती, मासा शब्दों को अक्सर बोलचाल में इस्तेमाल किए जाते है है लेकिन रत्ती शब्द से हमारा मतलब क्या था। रत्ती माने थोडा।
लेकिन कितना थोड़ा? आज हम इसी को समझने की क ोशिश करते है।
‘‘ रत्ती, माशा , तोला ’’ ये तीनों शब्द भार माप-तोल के इस्तेमाल में लाए जाते रहे है। तोला तो फिर भी सुनाई दे जाता है लेकिन रत्ती और माशा के बारे में जानकारी रत्ती भर ही मिलती है।
दरअसल, रत्ती लाल-सुर्ख रंग क े साथ काले रंग का एक बीज है। जिसका प्रयोग भारत में पुराने समय में सोना-चांदी मापने के लिए किया जाता था। जिसकी तस्वीर भी यहां दी गई है। रत्ती भार मापने की सबसे छोटी भारती य इकाई है और वहीं से से ये शब्द प्रचलन में आया है। इस बीज की खास बात ये है कि रत्ती के हर बीज का भार बराबर होता है। तो इस तरह सोना-चांदी को मापने की इकाई से रत्ती शब्द प्रयोग में आया। समय के साथ रत्ती, माशा और तोला से जुड़ी कई कहावते बनी है। जो हम लोग अक्सर प्रयोग में लाते है।
वो संजय दत्त डॉयलाग तो याद ही होगा।
कितना, पचास तौला।
जब म ुझे शिक्षक द्वारा लिखने को कहा गया तो एक पल के लिए मुझे भी समझ नही आया कि ये रत्ती, आखिर बला क्या है? लेकिन इस पर थोड़ा सोचने व पढऩे पर पता चला कि इस शब्द को हम अक्सर प्रयोग में लाते है। हिंदी भाषा में ही नही बल्कि डोगरी भाषा में भी। जरूर अन्य भारतीय भाषा भी इस शब्द को इस्तेमाल में लाती होगी। हो सकता है शब्द का थोड़ा रूप बदला हो। जैसे हिंदी में ‘‘माशा ’’
को डोगरी में ‘‘मासा’’ कहा जाता है।
इसके विपरित कैरेट का इस्तेमाल पश्चिमी देशों में होता था। तो आज दुनिया व बाजार पर पश्चिमी देशों का दबदबा है तो जाहिर है कि उनकी भाषा और शब्दों को भी दबदबा रहेगा।
भाषा सिर्फ अपनी बात समझाने का माध्यम ही नही बल्कि संस्कृति और विरासत की वाहक भी होती है। समय के साथ पुरानी चाजों की तरह नाप-तौल भी चलन के बाहर होते चले गए। कभी-कभी मुहावरों में या किसी ख़ास खरीद-फरोत के दौरान उन्हें जरूर प्रयोग में लाया जाता है। लेकिन आज कि हम युवा पीढ़ी के लिए ये शब्द तो अजीब बन कर रह गए है जिन्हें संजोए जाने की जरूरत है।
वहीं, बताते चले कि आठ रत्ती का एक माशा होता है और बारह माशा से एक तोला बनता है जो कि करीब 11 ग्राम के बराबर होता है।
8 रत्ती = 1 माशा (मासा, डोगरी में), 12 माशा = 1 तोला, 1 तोला= 11.6 ग्राम ।
-इति।
अच्छा प्रयास है। लेकिन फोटो नहीं दिख रहा।
ReplyDeleteआपने अपने इस आर्टिकल में सोना और चांदी के वजन से संबंधित बहुत अच्छी जानकारी दिया है. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने bhari gram से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
ReplyDeleteधन्यवाद.