तिथि- 20/3/2017 11ः36 ए.एम
मेरा दोस्त प्रयास ....
हर रोज बेहतर कल की उम्मीद लिये प्रयासरत है मेरा दोस्त ’प्रयास’। प्रयास बहुत शांत स्वाभाव का है मैंने कभी उसे उंची आवाज में बात करते हुए नही सुना। उसे जब भी मुलाकात हुई वे किसी न किसी काम में व्यस्थ दिखा।
12वीं पास करने के बाद, एक साल का डिपलोमा कर वे अब क्लीनिक में नौकरी कर रहा है। दो साल पहले ही मेरी और उसकी दोस्ती हुई है। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी हुई तो मुझे पता चला कि वो पंजाब का रहना वाला है और जहां (कठुआ में) अपनी दो बहनों और मां के साथ किराये के मकान में रहता है।पिता के बारे में पूछने पर उसने बताया कि मम्मी और पापा लगभग 20 साल पहले से ही अलग हो गए है। उसने बताया कि उसके पिता कुछ काम तो करते नही है। बहुत ज्यादा शराब पीते है और मम्मी के साथ अक्सर मार-पीट करते थे जिस कारण मेरी मम्मी ने उन्हें छोड़ अकेले ही हमारी देखरेख करने का जिम्मा अपने कंधो पर लिया और वे गर्व से कहता है कि मां ने इस जिम्मेवारी को बखूवी निभाया है। उसने बताया कि पास में ही उसके मामाजी का मकान है जो शुरू में तो हमारा हाल-चाल पूछने आ जाते थे पर वक्त के साथ वे भी बदल गए। पिता के बारे में पूछने पर खा कि उसके पिता कभी उनसे मिलने नही आए। वे मुझसे पूछता है कि सच में पिता इतने र्निमोही होते है क्या? मेरा पास इस सवाल का कोई जवाब नही था ।
माँ ने किसी तरह मेहनत-मजूदरी कर प्रयास और उसकी बहनों को पढ़ाया। उसने बताया कि उसकी एक बहन ने एमए की पढ़ाई पूरी कर ली है और निजि स्कूल में बच्चों को पढ़ाती है। दूसरी बहन बारहवी में पढ़ती है. अब घर का खर्चा वे और उसकी बड़ी बहन मिल के चलाते है। प्रयास चाहता है कि उसकी बहन बीएड करे और टीचर बने। दोनो बहनों की शादी के खर्चे की चिंता भी उसे सताती रहती है। लेकिन उनके पास इतने पैसे कहां कि वे उच्च शिक्षा हासिल कर सके और अपनी बहनों की शिक्षा करवा सके।
प्रयास की समस्या एक ओर भी है कि वे पढ़ना चाहता है वे चाहाता है वे एक बड़ा वकील बने और घरेलु हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़े।
प्रयास किलनिक की नौकरी के बाद बच्चों को टयूशन भी पढ़ाने जाता है और मजे की बात ये है कि अब उसने कालेज में दाखिला भी ले लिया है।
वे चाहता है कि दादाजी की जमीन में उन्हें भी हिस्सा मिल जाता है तो वे अपना खुद का घर बना सकते है और अपने बहनों की शादी को धूूम-धाम से कर सकता है व अपने करियर को भी उड़ान दे सकता है।
कभी-कभी बड़े जोशीले अंदाज में वे मुझसे कानुन और संविधान को जानने के बारे में पूछता है। वे कहता है कि हमारे दादाजी की जो जमीन है वे चाहता है कि उसमें प्रयास के परिवार को भी हिस्सा मिल जाये। वे अपने हक लेना चाहता है।
लेकिन उसकी आर्थिक दशा इतनी मजबूत नही कि वे कोर्ट-केस लड़ सके। अदालतो के चक्कर लगाने के लिए उसके पास न तो पैसा है और न समय। दिन तो सारा क्लिनिक की नौकरी में गुजर जाता है, शाम ट्यूशन में गुजर जाती है, रात सोने और पढ़ने में बीत जाती है।
तो ऐसे में वो कब अदालतो के चक्कर लगाए और कहां से वकीलों की फीसे लायें? ये प्रयास के सामने बड़े सवाल है। वो अक्सर मुझसे इन सवालो केे जवाब तलाषने में मदद मंगता है लेकिन मेरे पास भी तो लेखनी के सिवा कुछ है नही।
ये सब बाते सोच मेरे दिमाग में तेज हलचल पैदा हो जाती है कि किस तरह कड़ी मेंहनत करने के बाद भी कोई व्यक्ति अपने अधिकारों को पाने में असफल रह जाता है। समाज के बीच प्रयास, उसकी मां, बहन की मेहनत को तो इस्तेमाल करने का हक है। लेकिन उसके बदले में समाज उन्हें इतना भी नही दे रहा। कि वे खुद का घर बना सके, उच्च शिक्षा हासिल कर सके और अपने हक के लिए आवाज को उठा कर सके। आखिर मेहनत करने के
बाद भी क्यों है प्रयास इतना असह्याए?....
सभी पाठको और साथियों से अपील है कि प्रयास कि समस्याओं का उचित समाधान जरूर सुझाए। हमें आपके सुझावों को इंतजार रहेगा।
प्रयासरत = कोशिश में .
-गुलशन कुमार उधम।
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