Poem


मातृ भाषा और जमींन ।।।

जब वो आये तो उनके हाथों में
तथाकथित धार्मिक पुस्तकें व उनकी भाषा थी।
और हमारे पास ज़मीन  और अपनी मातृ भाषा थी।
फिर कुछ सालों के बाद,
हमारे पास धार्मिक पुस्तकें और उनकी भाषा थी।
और उनके पास हमारी ज़मीन।

--गुलशन उधम

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