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चीन कृत्रिम चाँद बना रहा है लेकिन हम अभी  भी छननी में चाँद को देख कर अर्ग दे रहे है।

गुलशन उधम।
कठुआ, 28 अक्टूबर।

छड़हू अन्न, करू पखण्ड,
न ओह सुहागन न ओह रण्ड।

गुरु कबीर के ये शब्द है। जो कि गुरवाणी में भी दर्ज है। जिसमें गुरु कबीर ने पाखण्ड और अंधविश्वास पर प्रहार किया है। वे कह रहे है कि भोजन छोड़ना, व्रत रखना एक पखण्डवाद है। इससे न तो कोई सुहागन होगा और न ही विधवा होगा। भोजन छोड़ने से पति की उम्र लम्बी होने की बात अविश्वसनीय है।

शनिवार, 27 अक्टूबर को करीब पूरे उत्तर भारत में करवा चौथ का त्योहार मनाया गया।
इस दिन सुहागन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। और फिर रात में चांद को अर्ग देकर व्रत पूरा किया जाता है।
सुहागन महिलाओं व युवतियों में इस त्यौहार को लेकर भारी उत्साह होता है।

करीब-करीब हर जगह ऐसा ही हुआ है।

लेकिन ये सिर्फ एक नजरिया है। आईये आपको दूसरे नजरिये से भी परिचित करवाते है।

यूं तो हर तरफ महिलाओं ने अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत ही रखा।
लेकिन वही दूसरी तरफ कठुआ के गुरु रविदास सभागार में जेकेआरसीए दुआरा इस रीत के विपरीत "सामूहिक भोजन"
का आयोजन  किया गया। जिसमें सभी लोगों ने एकत्रित होकर एक साथ भोजन किया और साथ ही समाज, आस्था, रीति-रिवाज आदि पर विचार विमर्श भी किया गया।
इस कार्यक्रम आयोजको ने बेबाकी से इस त्यौहार को नकारा । उन्होंने कहा कि वे बाबा साहेब अंबेडकर व अन्य सन्तो के दिखाए रास्ते का अनुसरन करते है।
जो सभी के लिए बराबरी व इंसाफ का रास्ता है। जो पखण्ड व अंधविश्वास को नही मानता है। उन्होंने कहा कि
चीन कृत्रिम चाँद बना रहा है लेकिन हम अभी  भी छननी में चाँद को देख कर अर्ग दे रहे है।

वहीं महिलाओं ने सवाल करते हुए कहा कि एक दिन भूखा रहने से अगर पति
की उम्र कैसे लंबी हो सकती है? उन्होंने कहा कि ये कोरा झूठ है और इस मानसिक गुलामी से बाहर निकलना होगा।
उन्होंने कहा कि
व्रत आदि वहीं होते है। यहाँ अंधविश्वास रहता है। ये एक व्यवस्था बनाई हुई है।
जिसमे चूड़ियां, गहने, कपड़े, आदि खरीदे जाएंगे। और व्यापारी वर्ग के पास बहुत पैसा इक्कठा होगा। समान खरीदन बुरा नही है। लेकिन सब जरूरत के हिसाब से खरीदा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये अंधिविश्वास की धारना है। जिसे तोड़ा जाना जरूरी है।
व्रत सिर्फ डर के कारण रखा जाता है।
इस पर्व को वैज्ञानिक आधार नही है।
बस लोगों की धरना ने इसे बना कर रखा हुआ है।

वहीं, इस मामले को आस्था से जोड़े जाने का सवाल के जवाब में महिलाओं ने कहा कि
की आस्था, वहाँ शुरू होती है यहां जबाव खत्म हो जाते है।
उन्होने कहा कि आस्था रखनी ही है तो  इस बात में होनी चाहिए कि बच्चों को शिक्षा दी जाए। बेटा व बेटी दोनों को आगे बढ़ने के समान मौके उपलब्ध करवाए जाए। अगर किसी देश नागरिक शिक्षित व स्वतन्त्र सोच के होंगे तो देश तरक्की कर सकता है। उन्होंने कहा को

बाबा साहेब आंबेडकर व अन्य संतो के रास्ते पर आगे बढ़ना है जो अन्धविशवास और पाखण्डवाद का खंडन करना है और सब के लिए बराबरी का समाज बनाना है।

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