Mere dost vinay
मेरे दोस्त विनय का केंद्रीय विवि जम्मू का अनुभव
...शिक्षाालयों के प्रवेशद्वार जितने अधिक उंचे और खुले होंगे, उतने ही अधिक विद्यार्थी उसमें प्रवेश पा सकेंगें।
एक अनुमान के अनुसार- कोई भी देश जिसकी उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रवेश 20 प्रतिशत से कम हो, वे देश आर्थिक रूप् से उन्नत कभी नही हो सकता। तो ये इससे ये पता चलता है कि देश की प्रगति में उच्च शिक्षा का कितना महत्वपूर्ण स्थान है।...
एक अनुमान के अनुसार- कोई भी देश जिसकी उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रवेश 20 प्रतिशत से कम हो, वे देश आर्थिक रूप् से उन्नत कभी नही हो सकता। तो ये इससे ये पता चलता है कि देश की प्रगति में उच्च शिक्षा का कितना महत्वपूर्ण स्थान है।...
गुलशन उधम।
विनय, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू में सेमेस्टर दो का छात्र है। शिक्षा हासिल कर वे भी समाज और देश के प्रगति में अपना योगदान देना चाहता है। विनय की स्कूली शिक्षा एक राजकीय स्कूल से ही हुई है। उसके बाद राजकीय कालेज से ग्रेजूएशन की डिग्री लेकर, उसने पोस्ट ग्रेजूएशन के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। विनय को विवि का महौल स्कूल और कालेज दोनो से अधिक अनंदमयी और लोकतांत्रिक महसूस हुआ। यहां पर शिक्षक एंव सहपाठी सब मिलनसार थे। जल्द ही विनय अपने सहपाठियों के साथ घुलमिल गया। यहां पर जम्मू ही नही देश के दूसरे राज्यों के विद्यार्थी भी उसके साथ शिक्षा हासिल कर रहे थे। इसलिए यहां भाषा, संस्कृति, वेशभूषा का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता।
कोई भी त्यौहार या इंवेट होने पर केंद्रीय विवि में खास रौनक रहती।
निम्न मध्यमवर्गीय घर में जन्मेें विनय अब तक सिर्फ जम्मू में मनाए जाने वाले त्यौहार, जम्मू संभाग की संस्कृति, खान-पान आदि से ही परिचित था। देश के दूसरे भाग में लोग कैसे रहते है। इस बारे में उसने पढ़ा जरूर था लेकिन वास्तविक रूप से कभी अनुभव नही कर पाया था। लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय में आकर उसने देश के दूसरे भाग में रहने वाले भारतीयों को और करीब से जाना। केंद्रीय विवि में शिक्षक और सहपाठी देश के विभिन्न भाग से है। कई बार विनय सोचता कि यही तो भारत की ’विविधता में एकता’ का परिचय है। कि यहां सब लोग अलग-अलग भाषा-संस्कृति के बावजूद भी परस्पर मिलजुल कर रहते है। और हर कार्य में एक दूसरे का सहयोग करते है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आए अभी कुछ ही वर्ष हुए है तो ऐसे में कुछ छुटपुट परेशानियां भी विनय के सामने आती है। लेकिन विवि में सहपाठीयों और शिक्षकों से मिलने वाले स्नेह में वह सब भूल जाता।
हाल ही के दिनों में केंद्रीय विवि प्रशासन द्वारा बीच सत्र में बस के किराए को प्रति सत्र एक माह से करके प्रति माह एक हजार रूपये किए जाने के नोटिस ने विनय की विचलित कर दिया है।
विनय जिस केंद्रीय विवि को अपना दूसरा घर मान रहा था। अब उसे पराया लगने लगा है। इस बारे पूछने पर विनय ने बताया कि उसने गे्रजूएशन के बाद एक साल तक पोस्ट ग्रेजूएशन में दाखिला नही लिया। कारण पूछने पर उसने कहा कि उसके पास पिछले वर्ष इतने पैसे नही थे कि वे दाखिला ले सके।
तो ऐसे में उसने एक साल का गेप डाल काम किया और दााखिले के लिए पैसे जुटाए। लेकिन जब वे दाखिला लेने के लिए पहुंचा तो उसे पता चला कि फीस में वृद्धि हो गई है। किसी तरह, इंतजाम कर विनय ने केंद्रीय विवि जम्मू में दााखिला तो ले लिया लेकिन वह होस्टल में दाखिले के लिए पैसे न फिर भी न जुटा पाया। इस तरह उसे रोज केंद्रीय विवि जम्मू जाने के लिए घर से अप-डाउन करना पड़ता।
पहले सेमेस्टर तक विनय पार्ट टाईम जाॅव करता रहा। पर केंद्रीय विवि में समय अधिक खपने के कारण उसने पार्ट टाईम जाॅव छोड़ अपनी पढ़ाई पर फोकस बनाया।
कोई भी त्यौहार या इंवेट होने पर केंद्रीय विवि में खास रौनक रहती।
निम्न मध्यमवर्गीय घर में जन्मेें विनय अब तक सिर्फ जम्मू में मनाए जाने वाले त्यौहार, जम्मू संभाग की संस्कृति, खान-पान आदि से ही परिचित था। देश के दूसरे भाग में लोग कैसे रहते है। इस बारे में उसने पढ़ा जरूर था लेकिन वास्तविक रूप से कभी अनुभव नही कर पाया था। लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय में आकर उसने देश के दूसरे भाग में रहने वाले भारतीयों को और करीब से जाना। केंद्रीय विवि में शिक्षक और सहपाठी देश के विभिन्न भाग से है। कई बार विनय सोचता कि यही तो भारत की ’विविधता में एकता’ का परिचय है। कि यहां सब लोग अलग-अलग भाषा-संस्कृति के बावजूद भी परस्पर मिलजुल कर रहते है। और हर कार्य में एक दूसरे का सहयोग करते है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आए अभी कुछ ही वर्ष हुए है तो ऐसे में कुछ छुटपुट परेशानियां भी विनय के सामने आती है। लेकिन विवि में सहपाठीयों और शिक्षकों से मिलने वाले स्नेह में वह सब भूल जाता।
हाल ही के दिनों में केंद्रीय विवि प्रशासन द्वारा बीच सत्र में बस के किराए को प्रति सत्र एक माह से करके प्रति माह एक हजार रूपये किए जाने के नोटिस ने विनय की विचलित कर दिया है।
विनय जिस केंद्रीय विवि को अपना दूसरा घर मान रहा था। अब उसे पराया लगने लगा है। इस बारे पूछने पर विनय ने बताया कि उसने गे्रजूएशन के बाद एक साल तक पोस्ट ग्रेजूएशन में दाखिला नही लिया। कारण पूछने पर उसने कहा कि उसके पास पिछले वर्ष इतने पैसे नही थे कि वे दाखिला ले सके।
तो ऐसे में उसने एक साल का गेप डाल काम किया और दााखिले के लिए पैसे जुटाए। लेकिन जब वे दाखिला लेने के लिए पहुंचा तो उसे पता चला कि फीस में वृद्धि हो गई है। किसी तरह, इंतजाम कर विनय ने केंद्रीय विवि जम्मू में दााखिला तो ले लिया लेकिन वह होस्टल में दाखिले के लिए पैसे न फिर भी न जुटा पाया। इस तरह उसे रोज केंद्रीय विवि जम्मू जाने के लिए घर से अप-डाउन करना पड़ता।
पहले सेमेस्टर तक विनय पार्ट टाईम जाॅव करता रहा। पर केंद्रीय विवि में समय अधिक खपने के कारण उसने पार्ट टाईम जाॅव छोड़ अपनी पढ़ाई पर फोकस बनाया।
और अब इस तरह बीच सत्र में हुई फीस वृद्धि ने विनय की चिंताओं को दुगना कर दिया है। अभी उसे एक और वर्ष केंद्रीय विवि में बिताना है। तो किस तरह वे अपनी शिक्षा को बचाए रखता है ये तो समय ही जानता है।
विनय अब देश की शिक्षा प्रणाली को और करीब से समझने कोशिश करने लगा है। उसने जाना कि 2009 में शिक्षा का अधिकार अस्तित्व में आया। जिसमें छह से चोदह साल के बच्चों के लिए शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। लेकिन वह अब सवाल करता है कि जन्म से छह वर्ष तक बच्चें की शिक्षा जिम्मेदारी किसकी है? और चोदह वर्ष के बाद शिक्षा की जिम्मेदारी का भी कोई जिकर क्यों नही है?
विनय कहता है कि अगर यूंही शिक्षा की फीस कभी सत्र और कभी बीच सत्र में बढ़ने लगी तो विवि में उस जैसे बच्चों के लिए शिक्षा हासिल करना कठिन हो जाएगा। गर फीस वृद्धि होती है तो़ उच्च शिक्षा पाने वालों की गिनती कम ही होगी किसी भी रूप से बढ़ेगी नही।
विनय कहता है कि शिक्षाालयों के प्रवेशद्वार जितने अधिक उंचे और खुले होंगे, उतने ही अधिक विद्यार्थी उसमें प्रवेश पा सकेंगे। एक अनुमान के अनुसार- कोई भी देश जिसकी उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रवेश 20 प्रतिशत से कम हो, वे देश आर्थिक रूप् से उन्नत कभी नही हो सकता। इससे ये पता चलता है कि देश की प्रगति में उच्च शिक्षा का कितन महत्वपूर्ण स्थान है।
लेकिन अगर ऐसे में शिक्षा का खरीद-फरोत की वस्तु में बदली जाने लगी तो समाज का एक बड़ा हिस्सा उच्च शिक्षा से दूर होता चला जाएगाा।
और इसके लिए आप किसे जिम्मेदार कहेंगे?
विनय अब देश की शिक्षा प्रणाली को और करीब से समझने कोशिश करने लगा है। उसने जाना कि 2009 में शिक्षा का अधिकार अस्तित्व में आया। जिसमें छह से चोदह साल के बच्चों के लिए शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। लेकिन वह अब सवाल करता है कि जन्म से छह वर्ष तक बच्चें की शिक्षा जिम्मेदारी किसकी है? और चोदह वर्ष के बाद शिक्षा की जिम्मेदारी का भी कोई जिकर क्यों नही है?
विनय कहता है कि अगर यूंही शिक्षा की फीस कभी सत्र और कभी बीच सत्र में बढ़ने लगी तो विवि में उस जैसे बच्चों के लिए शिक्षा हासिल करना कठिन हो जाएगा। गर फीस वृद्धि होती है तो़ उच्च शिक्षा पाने वालों की गिनती कम ही होगी किसी भी रूप से बढ़ेगी नही।
विनय कहता है कि शिक्षाालयों के प्रवेशद्वार जितने अधिक उंचे और खुले होंगे, उतने ही अधिक विद्यार्थी उसमें प्रवेश पा सकेंगे। एक अनुमान के अनुसार- कोई भी देश जिसकी उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रवेश 20 प्रतिशत से कम हो, वे देश आर्थिक रूप् से उन्नत कभी नही हो सकता। इससे ये पता चलता है कि देश की प्रगति में उच्च शिक्षा का कितन महत्वपूर्ण स्थान है।
लेकिन अगर ऐसे में शिक्षा का खरीद-फरोत की वस्तु में बदली जाने लगी तो समाज का एक बड़ा हिस्सा उच्च शिक्षा से दूर होता चला जाएगाा।
और इसके लिए आप किसे जिम्मेदार कहेंगे?
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