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Showing posts from October, 2020

Mother Toungue

ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰੋ #ਸਬ ਦੀ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰੋ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਪੜ੍ਹੋ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਲਿਖੋ ਮਾਂ ਬੋਲੀ ਬੋਲੋ... To  Jammu Kashmir Friend's If you are not able to read my first sentence which is written in Punjabi, this is what u people going to miss.. You people know English which is not actually Indian/Asian language, you also know Hindi which is also not native language of jammu kashmir.. You can read Dogri, but only in Devnagari scripts... Tankri, we don't know.... Ask yourself, why this is happens to YOU ??? You are not able to read PUNJABI which is just our neighborhood language... (As according present time) You know,  we have long long history of shared Cultures, love, happiness and pain with Punjab... But, I think some people don't want to remember all these things... Final decision is yours.. just respect all Languages and demand to give proper space to ALL mother tongue... Our Jammu Kashmir have rich culture heritage and  #Language_Diversity... Kos-kos Pr Badle Vaani... This...

Caxton Hall

 गर,  हमें जलियांवाला बाग   रह-रह कर  याद आता है,  यकीनन केकस्टन हॉल की  घटना तो तुम्हें भी नहीं   भूली होगी। -गुलशन उधम ..Shaheed Udham Singh shot General O'Dyer at Caxton Hall, London on march 13, 1940.  Udham  Singh did not flee from the spot and  was arrested for the killing and was martyred on  july 31, 1940..

Mei Chahta Tha

मैं चाहता था कि एक मुलाकात हो हमारी और जिसमें मैं वो सब कह दूं तुम्हें, जो अब तक ना कह सका था  मैं चाहता कि उस मुलाकत में वो सब सुनूं जो तुम कहना चाहती थी मुझसे। बीच बचाव, भागम भाग में बहुत कुछ अधूरा ही रह गया था। कई साधन है हमारे बीच लेकिन मुलाकात फिर भी अधूरी रही थी आखिरी... इस बात को करीब 2 जाड़ो ने ढक लिया है लेकिन देखो अब भी तुम्हारी याद युहीं सजा कर रखी है मैंने... -गुलशन उधम poem

Humare Paas

हमारे पास... हमारे पास सपने थे, जिनको पूरा करने की तलाश में निकल पड़े घर से दूर बहुत दूर... उन सपनों में ऊर्जा थी, तेज़ था.. जो हमे गति देता था आगे बढ़ने को प्रेरित करता था... हम चले जा रहे थे दुर्गम रास्तों से सपनों की चाह में... -gulshan udham हमारे पास उम्मीदें थी जिनसे बंधी थी कई डोरियां जिनकों लेकर निकल पड़े थे हम घर से दूर बहुत दूर... उन उम्मीदों में सामंजस्य था आवेग था जो हमें सुदृढ़ करती थी आगे बढ़ने को दिशा देती थी हम चले जा रहे थे  दूरस्थ रास्तों पर उम्मीदें लिए हुए... -gulshan udham

Sochta Huun

सोचता हूँ वो कौन लोग हैं जो निकल आये सड़कों पर न कोरोना का डर उन्हें न पुलिस की लाठी का रेल रोक दी सड़क जाम कर दी धूप-ताप में अड़े रहे कुछ तो है ऐसा जो जान गए हैं वो और बताना चाहते हैं सबको, मै, आप जो घरों में दुबके हैं हमें उनकी आवाज को सुनना चाहिये निश्चित ही वे सबकी बात है कुछ की नहीं... -गुलशन उधम

Draityon Ka Elaanama

दरातियों का एलांनामा कि उनका मुहं हाकिमों की ओर मोड़ा जाए इस बार फ़सल ही नहीं बर्बरता को भी उखाड़ा जाए... जुल्म को ढाह कर जो बने हैं हुक्मरां लोकराज क्या है इस बार  उनको  विस्तार से बताया जाए.. रुजगार डकारा तालीम डकारी डकार गए सारा पब्लिक सेक्टर होती है स्वर की हद क्या इस बार उनको बताया जाए -गुलशन उधम

Kiski shah par

किसकी शह पर हाथरस, गुजरात, उनायो, कठुआ, बहुत लंबी है सूची आंतक और बर्बरता की... रेप किया जीभ काट दी गर्दन मरोड़ दी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी अपराधियों ने सब  आंतक, बर्बरता की पर किसकी शह पर सामंती  मर्दप्रधान जातिवादी मनुवादी ढांचे की शह पर जिसे हमसब सींचते हैं रोज दर रोज बजाय  उखाड़ फेंकने के उसके.... -Gulshan Udham

Galiyaan

गालियां: Rape करने की धमकियां हैं कुछ पल रुकिए, जरा सोचिए कि आपने अपने आसपास आखिरी गाली कब सुनी या किसी को दी. ये भी तय है कि वे जाने अनजाने में दी गयी होगी, sub consiousce mind से, लेकिन उन गालियों पर गौर तो करिए को वे हैं क्या? सीधी धमकी है रेप करने की। #SmashRapeCulture -Gulshan Udham

Rape Culture Shay Ho

रेप कल्चर क्षय हो रेप कोई घटना नहीं होती ये एक जानभुज कर किया गया अपराध होता है जिसमें ताकत मिलती है rape culture से, जी हां , हमारे समाज मे रेप संस्कृति है, जो रोज दर रोज रेप को सींचती है, उसकी picture paste की जा रही है... ...हर वक्त हमारा गली देना और सुनना जाने में या अनजाने में, महिला को object ओर commodity तक ला देना... जबकि वे इंसान और नगरिक है, जिसके पुरुष समान अधिकार हैं, जो कभी मिलते नहीं... आपको लगे कि आपके पास सभी अधिकार हैं या आपने सभी अधिकार दिए हैं, तो यहां आपको खुद की class को देखना होगा, और अभी दुनिया का कोई कोना पितृसत्ता से मुक्त नहीं है, आज समझ लो या बाद में समझ लो आगे बढ़ते हैं, हाथरस केस में dalit शब्द क्यों आ रहा है,  महिला महिला होती है??? इस सवाल पर ये समझना जरूरी है कि ये हाथरस बर्बरता structural violence है, जिसमें अपराधियों अपराध ही नहीं किया अपनी क्रूरता में और आगे गए हैं उन्हें आंतकियों से कम समझना हमारा सेल्क्टिज्म है और इस case में police और वहां का local तंत्र भी violence में हिस्सेदार है, fir समय पर दर्ज नहीं हुई, अस्पताल में सही इलाज नहीं मिला, मेडि...

Bhasha Aur Privilege

भाषा और Privilege जब कोई टूटी-फूटी(आपके अनुसार) हिंदी/english या किसी अन्य भाषा में  बात रखे, तो उसकी बात को समझने पर ध्यान दें बजाय grammer Nazi बनने के, क्योंकि आपको privilege मिल पाया है, उस भाषा को grammatically सही ढंग(आपके अनुसार) से बोलने का, वे उसे नहीं मिल पाया होता है.... अपना privilege बात को समझने में दिखायो #Mind_it -Gulshan Udham

Bhitr ki ladaayi

भीतर की लड़ाई समय के साथ आप प्रगतिशील और बराबरी के समाज को बनाने की बात करने लगे होंगे, इसके लिए सड़क पर भी उतरते होंगे, लेकिन जिस social background से आप आते हैं, सामंती/जातिय/पितृ प्रधान से उसके अंश आप में रहते हैं  और देर सवेर बाहर भी आते हैं, ईमानदारी से इनसे टकराते रहे, ये आपके भीतर की लड़ाई है जो आपको ही लड़नी है... #Mind_it -Gulshan Udham

Lekin Wo Haq Mujhe Kab Doge

लेकिन वो हक मुझे कब दोगे स्नेहा....... कहां हो यार... एक गिलास ठंडा पानी पिला दो। चिल्लाता हुआ देवदत्त  घर मे आया मैं कुछ जरूरी काम कर रही हूं, तुम खुद पी लो पानी स्नेहा का जवाब था... अरे... आज तो खुश हो जायो, मैं औरतों के हकों के लिए protest करके आया हूं...  देवदत्त बोला। लेकिन, वो हक मुझे कब दोगे... स्नेहा का जबाव था और घर में थी खामोशी... -Gulshan Udham